डॉ. सिहं ने उपसंपादन में करीयर और एक उपसंपादक के कार्यों पर प्रशिक्षु पत्रकारों से खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि उपसंपादक किसी भी समाचार पत्र की रीढ़ होता है। खबरों को तराशने और संवारने की जिम्मेदारी इसी की होती है। यही समाचार पत्र की आवश्यकता के अनुसार समाचारो का चयन और उनके स्थान निर्धारण की जिम्मेदारी भी निभाता है। डॉ. सिहं ने समाचार पत्र की डेस्क की कार्यप्रणाली में आये बदलावों पर भी विद्यार्थियों से अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने कहा कि आजकल अधिकांश समाचार पत्रों में डेस्क का सारा कार्य कम्प्यूटर पर ही होता है। इसलिए इसमें रोजगार पाने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को कंप्यूटर की सामान्य जानकारी और टाइपिंग में निपुणता परमावश्यक है।डॉ. जोगेंद्र सिहं ने कहा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, यदि आप में लगन है और आप उद्योग की आवश्यकता के अनुसार कार्य करने की क्षमता रखते हैं, तो अपकी सफलता सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि पत्रकार को समाचारों की एबीसी यानि परिशुद्धता,संक्षिप्तता और सत्यता व स्पष्टता का ज्ञान होना आवश्यक है।
डॉ. सिहं ने इस दौरान प्रशिक्षु पत्रकारों के उपसंपादन और पत्रकारिता से जुड़े अनेक सवालो के जवाब भी दिए। रोजगार के अवसरो संबंधी एक सवाल के जवाब में वे बोले कि कुशल और दक्ष लोगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने फीचर संपादक की समाचार पत्रों में बढ़ती मांग के संबंध में भी विद्यार्थियों की जानकारी दी।
कार्यशाला के संचालक और विभागाध्यक्ष वीरेंद्र सिहं चौहान ने भी विद्यार्थियों को उपसंपादन के कार्यों की बारीकियों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि उपसंपादक को खबरों की समझ होनी चाहिए। उसे अपनी रचनात्मकता के द्वारा खबरों में जान डालनी आनी चाहिए। इस अवसर पर शिक्षकगण सन्नी गुप्ता, कृष्ण कुमार, राममेहर पालवा व डॉ. ब्रह्मलता भी उपस्थित थे।
डॉ. सिहं ने इस दौरान प्रशिक्षु पत्रकारों के उपसंपादन और पत्रकारिता से जुड़े अनेक सवालो के जवाब भी दिए। रोजगार के अवसरो संबंधी एक सवाल के जवाब में वे बोले कि कुशल और दक्ष लोगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने फीचर संपादक की समाचार पत्रों में बढ़ती मांग के संबंध में भी विद्यार्थियों की जानकारी दी।
कार्यशाला के संचालक और विभागाध्यक्ष वीरेंद्र सिहं चौहान ने भी विद्यार्थियों को उपसंपादन के कार्यों की बारीकियों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि उपसंपादक को खबरों की समझ होनी चाहिए। उसे अपनी रचनात्मकता के द्वारा खबरों में जान डालनी आनी चाहिए। इस अवसर पर शिक्षकगण सन्नी गुप्ता, कृष्ण कुमार, राममेहर पालवा व डॉ. ब्रह्मलता भी उपस्थित थे।
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