पंख फैलाकर उडने को
इस धरा पर छाने को।
क्या तेरा दिल नहीं करता ?
हर जुबां पर छाने को
हर दिल में बस जाने को।
क्या तेरा मन नहीं करता ?
अब उठ, खड़ा हो, पहचान स्वयं को।
क्षितिज तेरा इंतजार कर रहा।
भूलकर अपनी ताकत को,
तंु क्यों चुनौतियों से डर रहा।
बस करले ये प्रण आज से
लड़ना है हर रण आज से।
रास्ते के कांटों से आंधी और तुफानों से,
जरा भी मत घबराना तुम।
लक्ष्य न ओझल होने देना,
हर हाल में चलते रहना।
खुद पर यकीं, मंजिल से प्रेम,
और दृढ़ निश्चय होगा
ये प्रभात का वादा है
आसमां तेरे कदमों में होगा.
आसमां तेरे..........................
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