सिरसा,15 मार्च। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में चल रही प्रिंट व साइबर मीडिया कार्यशाला का आठवां दिन खोजी पत्रकारिता के नाम रहा। खोजी पत्रकार तथा समरघोष के स्थानीय संपादक ऋषि पांडेय ने प्रशिक्षु पत्रकारों को इसकी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खोजी पत्रकारिता नारीयल की तरह है। इसकी अंदरुनी मीठास को वही हासिल कर सकता है, जो उपरी कठोर आवरण को तोड़ने का मादा रखता हो। जो विद्यार्थी कड़ी मेहनत और कुछ कर गुजरने का जज्बा रखता हो, उसके लिए यह क्षेत्र उपयुक्त है। प्रस्तुत है ऋषि पांडे व वद्यार्थियों की बातचीत के मुख्य अंश-
रोजगार की संभावनाएं-
ऋषि पांडेय ने बताया कि इस क्षेत्र में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। खोजी पत्रकारिता में विद्यार्थी एक ट्रेनी के रुप में शुरुआत कर सकता है। मेहनत के द्वारा व्यक्ति अपनी अलग तथा विशिष्ट पहचान ही नहीं बना सकता बल्कि अच्छा वेतन भी पा सकता है। रोज नये नये चैनल तथा समचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार के अनेक अवसर हैं।
किशमिस नहीं अखरोट-
खोजी पत्रकारिता किशमिस नहीं अखरोट की तरह है। इसमें समाचार संकलन के दौरान पत्रकार को अनेक चुनोतियों का सामना करना पड़ता है। आपको जोखिम उठाने के लिए हर समय तैयार रहना होगा। लेकिन यदि आपने एक बार समूद्र में गोता लगाने की सोच ली हो तो फिर डूबने से नहीं घबराना चाहिए। जब आपको तैरना आ जाता है तो गहराई कोइ मायने नहीं रखती।आप सफलता की सीढ़ियां चढ़तें जाएंगें।
समय के महत्व को समझें-
मीडिया में समय का बहुत महत्व है। घड़ी की सुई मौत की सुई की भांति होती है। विद्यार्थि जीवन की लापरवाही उद्योग जगत में नहीं चलती। यहां आपके एक-एक सैकेंड का हीसाब रखा जाता है।उन्होंने कहा कि घड़ी को शोक के लिए ना बांधे, इसके वास्तविक उपयोग को समझनें की कोशीस करें। यहां चार बजे का मतलब चार बजे ही होता है। इसलिए हमें समय के प्रति अपने नजरिये को बदलना होगा। यदि विद्यार्थी जीवन में हम समय का महत्व समझ गये तो हमें बाद में कोई परेशानी नहीं होगी।
विश्वसनीय सूत्र बनाऐं-
खोजी पत्रकारिता में सूत्र और स्रोत की भूमिका सबसे अहम होती है।बड़े बड़े अधिकारी कभी अपको सही सूचना नहीं देंगें। इसलिए अपनी बीट में ऐसे स्त्रोत बनाऐं जो आपको विभिन्न प्रकार की सूचनाएं दे सके। चपड़ासी, कार्यालय सहायक, ड्राइवर आदि आपकी आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। अच्छे स्त्रोत होने के बाद खबरें खूद आपके पास चलकर आने लगेंगी। अनेक उदाहरणों के द्वारा ऋषि पांडे ने स्त्रोत की महत्ता विद्यार्थियों को समझाई।
अच्छे श्रोता बनें-
एक पत्रकार को अच्छा श्रोता होना बहुत जरुरी है। आप सीर्फ तब बोलिए जब आप समाचार दे रहेें हो। जिस दिन आपने अपने ज्ञान का अनावश्यक बखान किया आपका पतन हो जाएगा। हमेशा सीखने के लिए तैयार रहें। अपने सीनियर से पूछनें में किसी तरह का कोई संकोच न करें,लोग आपकी मदद अवश्य करेंगे।
खूब पढ़ें जिज्ञासु बनें-
एक पत्रकार को पढ़ाई से भागना नहीं चाहिए, उसे जिज्ञासु प्रवृति का होना चाहिए।
कानूनों की जानकारी, तकनीकी जानकारी तथा अपने आप को अपडेट रखने के लिए खूब पढ़ना चाहिए। पढ़ाई सें हमें जी नहीं चूराना चाहिए। हर क्षेत्र की जानकारी हमें होनी चाहिए।
बने साइबर फ्रेंडली-
आधुनिक सूचना क्रांति के इस दौर में अपको इंटरनेट और न्यू मीडिया की अच्छी समझ होनी चाहिए। बहुत से हाई प्रोफाइल अपराधों के तार सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से जूड़े होते हैं। इसी तरह खोजी पत्रकार को तकनीक के क्षेत्र में हो रही प्रगति तथा विकास पर नजर रखनी चाहिए। पांडेय ने कहा कि खोजी पत्रकार को अपने आप को तकनीक से अपडेट रखना चाहिए।
विभागाध्यक्ष वीरेन्द्र सिहं चौहान ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी लेखन क्षमता को तराशे।क्योंकि उद्योग को अच्छे लेखकों की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के इस दौर में मेहनत और कौशल के बगैर काम नहीं चल सकता। इस
अवसर पर प्राध्यापिका पूनम कालेरा तथा प्राध्यापक कृष्ण कुमार, सन्नी गुप्पा, सुरेंद्र
कुमार तथा विकास सहारण भी उपस्थित थे।
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