सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

Thursday, December 2, 2010

बच्चों की आंखों में ना लगाए सुरमा- महीप बंसल

आंखें हमारे शरीर का सबसे अह्म अंग है। इसलिए इनकी विशेष देखभाल आवश्यक है। हमें चिकित्सक की सलाह के बगैर किसी भी तरह की आंखों की दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिना परामर्श बच्चों की आंखों में सुरमा डालना भी ख़तरनाक हो सकता है। सुरमे से आंखे बड़ी होना या सुंदर होना सिर्फ एक भ्रांति है। ये बातें डा0 महीप बंसल ने सामुदायिक रेडियो स्टेश्न के कार्यक्रम हैलो सिरसा में सुरेन्द्र सिहं से बातचीत के दौरान श्रोताओं को स बोंधित करते हुए कहें। प्रस्तुत है इस बातचीत के संपादित अंश-

प्रश्न-नेत्र रोग क्या है?
उत्तर-हमारी आंखों की सामान्य या प्राकृतिक अवस्था का किसी भी तरह से विकृत या प्रभावित होना नेत्र रोग कहलाएगा। इनमें आंखों का लाल होना, मोतिया बिन्द, रतौंधी, दूरदृष्टि या निकटदृष्टि दोष होना, एलर्जी, आई लू जैसे रोग आते हैं। बढ़ रहे प्रदूषण के कारण नेत्र रोगों में इजाफा हो रहा है।

प्रश्न- आम आदमी अपनी आंखों की देखभाल किस तरह कर सकता है?
उत्तर- ड्राइविंग के दौरान हेलमेट या अच्छा चश्मा लगाए। बिना सलाह के कोई दवा का प्रयोग न करें। किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। अपनी आंखों के प्रति लापरवाही का रवैया ना अपनाए, क्योंकि आंखें बहुत ही संवेदनशील होती है।

प्रश्न- टीवी देखते समय हमें क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर- टीवी देखते समय हमें टीवी से कम से कम 7 या 8 फीट की दूरी अवश्य रखनी चाहिए। यह दूरी कमरे व टीवी के साईज पर भी निर्भर करती है। यदि टीवी हाई रेज्यूलेशन वाला है तो आंखों पर कम प्रभाव पडेगा। टीवी देखते समय हमें लगातार अपनी आंखों को झपकाते रहना चाहिए। इससे आंखों की नमी बनी रहेगी। इसके अतिरिक्त पर ज्यादा देर तक काम करने वाले व्यक्ति को एंटी क्लीयर स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न- आंखों की एलर्जी के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- एलर्जी का मु य कारण सूर्य की पैराबैंगनी किरणें है। एलर्जी मु यतरू गर्मी के समय होती है। इससे बचने के लिए गुणवता वाले धूप के चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। बार -बार ठन्डे पानी से आंखों में छींटे मारने चाहिए।

प्रश्न- इस मौसम में आंखों से संबंधित कौन कौन से रोग मु य है?
उत्तर- इस समय कटाई और बिजाई का मौसम चल रहा है। इसलिए खेतों में काम करने वाले व्यक्ति को चोट लगने से जख़्म होने का डर रहता है। इसके अतिरिक्त इस समय बुजूर्गों में सफेद मोतिया व काला मोतिया आदि की समस्या हो सकती है।

प्रश्न- क्या बार बार आंखें धोने से आंखों की पुतलियों में स्थित रसायन को कुछ खतरा हो सकता है?
उत्तर- साफ पानी से आंखें धोने से कोई समस्या नहीं होती। बल्कि इससे आंखों की साफ सफाई हो जाती है और जहां तक रसायन की बात है तो यह रसायन समय समय पर बदलता रहता है। यह हमारी आंखों व पलकों के मध्य चिकनाई बनाए रखने का काम करता है ताकि पलकों को झपकाने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।

प्रश्न- बच्चों में बढ़ रही आंखों की समस्याओं के क्या कारण है?
उत्तर- इसका मु य कारण लगातार बढ़ता पढाई का बोझ, टीवी के साथ अत्यधिक लगाव, प्रदूषण भी इसका अहम कारण है। भारत में लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र में स्कूल में भेज देते हैं। जबकि यूरोप में 6 वर्ष के बच्चो को स्कूल में भेजा जाता है। कार्यक्रम के अन्त में श्रोताओं से कहा कि हमारी ये आंखें ही है जो हमें देश दूनिया दिखाती है। इनके बिना जीवन अधूरा है। इसलिए इनकी देखभाल में हमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी प्रकार की नेत्र स बंधी समस्या होने पर विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह मशवरा करना चाहिए।

प्रश्न- नजऱ कमजोर होने पर चश्मे के अतिरिक्त और क्या क्या विकल्प हो सकते हैं?
उत्तर- चश्मा लगाने के अतिरिक्त कोंटेक्ट लैंस को प्रयोग में लाया जा सकता है। लेकिन कॉन्टेक्ट लैंस के विकल्प में हमें ज्यादा सावधानियां बरतनी पड़ती है क्योंकि धूल मिट्टी के चलते कॉन्टेक्ट लैंस के कारण आंखों में जलन होने लगती है जिसके कारण आंखों की पुतलियां भी प्रभावित होती है। इसी के साथ आंखों का आप्रेशन भी बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें जोखिम अधिक रहता है।

प्रश्न-चश्मे के प्रयोग में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
उत्तर- चश्मे का प्रयोग करते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। हमें चश्मे का चुनाव करते समय उसकी गुणवत्ता को परखना चाहिए। फैशन को तवज्जो ना देकर आंखों की सहूलियत और आवश्यकता अनुसार की चश्मे का चुनाव करना चाहिए।चश्मे के फै्रम का चुनाव भी हमें चिकित्सक के सुझाव से ही करना चाहिए। साथ साथ चश्मे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न- हम अपनी आंखों की देखभाल किस तरह कर सकते है?
उत्तर-आंखे हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इन्ही की बदौलत हम इस खूबसूरत दूनिया को देख पाते हैं। इसलिए हमें अपनी आंखों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। इनके स्वास्थ्य के लिए जहां साफ सफाई अति आवश्यक है वहीं आहार में विटामिन ए की प्रचुर मात्रा होना आवश्यक है। यह हमें गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, जूस आदि से प्राप्त होता है।

सेना भर्ती के दौरान, दलालों से सावधान-कर्नल सिन्हा

भारतीय सेना अपने दमखम, शौर्य व परा क्रम ही नहीं, निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की वजह से भी जानी जाती है। सिरसा में 24 नवंबर से शुरू होने वाली खुली भर्ती में भी सर्वोतम का चुनाव हमारी प्राथमिकता रहेगी। इसलिए किसी भी प्रकार के बिचौलियों व दलालों के बहकावे में न आऐं। आपकी योग्यता ही आपके चुनाव का अंतिम आधार होगी। उपयुक्त बात कर्नल डी के सिन्हा ने कार्यक्रम हैलो सिरसा में रचना सैनी से बातचीत के दौरान कहीं। प्रस्तुत है उस बातचीत के संपादित अंश-
प्रश्न- सेना में युवाओं के लिए किस तरह की संभावनाएं है?
उत्तर- भारतीय सेना देश का गौरव है। सेना में जाकर युवा न सिर्फ अपना भविष्य व कैरियर बना सकते हैं, देश के प्रति अपने कर्तव्य को भी निभा सकते हैं। एक सैनिक को पैसा और स मान एक साथ मिलता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि युवाओं के लिए सेना में बहुत अच्छी संभावनाएं हैं।

प्रश्न- सिरसा में होने वाली भर्ती में शैक्षणिक योग्यताएं क्या होंगी?
उत्तर- सिरसा के भगत सिंह स्टेडियम में 24 नवंबर से भर्ती प्रक्रिया की शुरूवात होगी। यहां सामान्य सैनिक के लिए शैक्षणिक योग्यता 45 फीसदी अंकों के साथ 10वीं या 12वीं केवल पास होनी चाहिए। इसके लिए आयु सीमा 17वर्ष 6महीने से 21 वर्ष तक है। वहीं क्लर्क तथा एस सी टी के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता 12वीं में 50 फीसदी अंक निर्धारित की गई है। प्रत्येक विषय में 40 प्रतिशत अंक होने आवश्यक है। यदि अ यार्थी स्नात्तक है तो केवल पास भी चलेगा। परंतु 10वी या 12वीं में गणित तथा अंग्रेजी में 40 प्रतिशत अंक होना आवश्यक है।

प्रश्न- भर्ती के दौरान किन-किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?
उत्तर- जहां तक दस्तावेजों की बात है तो दसवीं व बारहवीं के मूल प्रमाणपत्रों के साथ दो-दो फोटों कॉपी, यदि कोई प्रमाण पत्र गुम है तो डूप्लीकेट प्रमाण पत्र अटेस्डेड किए होने चाहिए। इसके अतिरिक्त हरियाणा रिहायशी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, सरपंच द्वारा जारी चरित्र प्रमाण पत्र तथा 12 रंगीन पासपोर्ट फोटो जिन पर नाम तथा जन्म तिथि अंकित होना आवश्यक है। फोटों 6 महीने से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त भूतपूर्व सैनिकों व सेवारत कर्मचारियों के बच्चों के पास रिलेशनशिप सर्टिफिकेट होना भी आवश्यक है। वहीं यदि अ यार्थी 18 वर्ष से कम आयु का है तो माता-पिता का अधिकार पत्र साथ में अवश्य लाए। सभी अ यार्थी अविवाहित होने का प्रमाण पत्र भी साथ में लाए।

प्रश्न- शारीरिक मानदंड किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर- शारीरिक मानदंड सामान्य सैनिक के लिए कद 170 सेंटी मीटर, वजन 50 किलोग्राम, छाती 77 सेंटीमीटर व फुलाव 5 सेंटीमीटर होना आवश्यक है। क्लर्क व एस सी टी के लिए कद 162 सेंटीमीटर है परंतु अन्य शारीरिक मानदंड सामान्य सैनिक की तरह ही हैं।

प्रश्न- भर्ती के दौरान किस प्रकार की चयन प्रक्रिया होगी?
उत्तर- भर्ती के लिए सबसे पहले फिजिकल फिटनेस टेस्ट होगा। उसके पास फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट होगा। उसके बाद सभी प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी तथा अ यार्थी का मेडिकल चैकअप होगा। अंत में चयनित उ मीदवारों की लिखित परीक्षा होगी, जिसके आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।

प्रश्न- खिलाड़ी उ मीदवारों के लिए किस प्रकार की रियायतों को प्रावधान है?
उत्तर- राज्य व राष्ट्रीय स्तर के खिलाडियों को लिखित परीक्षा में 20 अंक अतिरिक्त मिलते हैं। इसी तरह एन सी सी के सी प्रमाण पत्र धारक को लिखित परीक्षा नहीं देनी पडती। बी प्रमाण पत्र धारक को 10 अंक अतिरिक्त दिए जाते हैं तथा ए प्रमाण पत्र धारक एन सी सी कैडेट को 5 बोनस अंक मिलते हैं।

प्रश्न- मेडिकल चेकअप किस प्रकार का होता है?
उत्तर- मेडिकल चेकअप में पूरे शरीर की जांच होती है। इसमें दांतो की जांच, कान की सफाई, गले, हड्डियों, आंखों की जांच,बवासीर व चर्म रोगों की जांच भी की जाती है। इस प्रकार मेडिकल चेकअप में शरीर के प्रत्येक अंग की गहनता से जांच की जाती है ताकि अच्छी सेहत वाले उ मीदवार की ही चयन हो सकें।

प्रश्न- इस क्षेत्र में आने के लिए आप युवाओं को किस तरह की तैयारी की सलाह दोगे?
उत्तर- मैं यही कहूंगा की अपनी फिटनेस तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। अपने शिक्षा संबंधी कागजात अच्छी तरह तैयार रखें। अपने आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाए। यदि आप योग्य है तो आपका चयन अवश्य होगा। अंत में यह सलाह अवश्य दूंगा कि किसी प्रकार की जालसाजी में ना आए, क्योंकि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष तथा पारदर्शी होगी।

Wednesday, December 1, 2010

पढाई के बोझ से कमजोर होती आंखें- डा0 चौधरी



(प्रभात इंदौरा) सूचना प्रोद्यौगिकी के इस युग में बच्चे कंप्यूटर तथा टीवी के आदी होते जा रहे हैं। ये घन्टों इनके साथ बिताते है, जिससे विभिन्न प्रकार की आंखों संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी तरह लगातार बढ़ रहा पढाई का बोझ भी इसे और भी गंभीर बना रहा है। यह बात नैत्र रोग विशेषज्ञ डा0 ओपी चौधरी ने सामुदायिक रेडियो स्टेशन 90.4 एफ एम पर कार्यक्रम हैलो सिरसा के दौरान सुरेंन्द्र सिंह के साथ बातचीत के दौरान कही। प्रस्तुत है इस बातचीत के संपादित अंश-
प्रश्न-नेत्र रोग क्या है?
उत्तर-हमारी आंखों की सामान्य या प्राकृतिक अवस्था का किसी भी तरह से विकृत या प्रभावित होना नेत्र रोग कहलाएगा। इनमें आंखों का लाल होना, मोतिया बिन्द, रतौंधी, दूरदृष्टि या निकटदृष्टि दोष होना, एलर्जी, आई लू जैसे रोग आते हैं। बढ़ रहे प्रदूषण के कारण नेत्र रोगों में इजाफा हो रहा है।
प्रश्न-आई लू क्या है। इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर-आई लू एक वायरल डिसॉर्ड्र है। यह मु यत: बारिश के दिनों में एक विशेष प्रकार के वायरस की वजह से फैलता है। एक बार
होने पर इसका कोई ईलाज नहीं है। यह अपने आप ठीक हो जाता है। परन्तु कुछ सावधानियां रखकर इससे बचा जा सकता है। जब यह
वायरस फैला हो तो भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। प्रभावित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें, यह हवा के द्वारा भी फैलता
है।
प्रश्न- आंखों की एलर्जी के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- एलर्जी का मु य कारण सूर्य की पैराबैंगनी किरणें है। एलर्जी मु यत: गर्मी के समय होती है। इससे बचने के लिए गुणवता वाले
धूप के चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। बार -बार ठन्डे पानी से आंखों में छींटे मारने चाहिए।
प्रश्न- हम अपनी आंखों की देखभाल किस तरह कर सकते है?
उत्तर-आंखे हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इन्ही की बदौलत हम इस खूबसूरत दूनिया को देख पाते हैं। इसलिए हमें अपनी
आंखों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। इनके स्वास्थ्य के लिए जहां साफ सफाई अति आवश्यक है वहीं आहार में विटामिन ए की प्रचुर
मात्रा होना आवश्यक है। यह हमें गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, जूस आदि से प्राप्त होता है।
प्रश्न-चश्मे के प्रयोग में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
उत्तर- चश्मे का प्रयोग करते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। हमें चश्मे का चुनाव करते समय उसकी गुणवत्ता को
परखना चाहिए। फैशन को तवज्जो ना देकर आंखों की सहूलियत और आवश्यकता अनुसार की चश्मे का चुनाव करना चाहिए। चश्मे के
फै्रम का चुनाव भी हमें चिकित्सक के सुझाव से ही करना चाहिए। साथ साथ चश्मे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न- नजऱ कमजोर होने पर चश्मे के अतिरिक्त और क्या क्या विकल्प हो सकते हैं?
उत्तर- चश्मा लगाने के अतिरिक्त कान्ॅटेक्ट लैंस को प्रयोग में लाया जा सकता है। लेकिन कॉन्टेक्ट लैंस के विकल्प में हमें ज्यादा
सावधानियां बरतनी पड़ती है क्योंकि धूल मिट्टी के चलते कॉन्टेक्ट लैंस के कारण आंखों में जलन होने लगती है जिसके कारण आंखों
की पुतलियां भी प्रभावित होती है। इसी के साथ आंखों का आप्रेशन भी बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें जोखिम अधिक रहता है।
प्रश्न- बच्चों में बढ़ रही आंखों की समस्याओं के क्या कारण है?
उत्तर- इसका मु य कारण लगातार बढ़ता पढाई का बोझ, टीवी के साथ अत्यधिक लगाव, प्रदूषण भी इसका अहम कारण है। भारत में
लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र में स्कूल में भेज देते हैं। जबकि यूरोप में 6 वर्ष के बच्चो को स्कूल में भेजा जाता है।
कार्यक्रम के अन्त में श्रोताओं से कहा कि हमारी ये आंखें ही है जो हमें देश दूनिया दिखाती है। इनके बिना जीवन अधूरा है। इसलिए
इनकी देखभाल में हमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी प्रकार की नेत्र स बंधी समस्या होने पर विश्वसनीय
नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह मशवरा करना चाहिए।



Wednesday, October 27, 2010

मछली पालन में है असीम संभावनाएं

लगातार बढ़ रही बेरोजगारी को दूर करने के लिए मछली पालन का कार्य काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जहां बेरोजगार युवा इससे अच्छी कमाई कर सकते है,वहीं किसान भी इस कार्य को अतिरिक्त व्यवसाय के रुप में अपना सकता है।इस व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए प्रकार की सहायता प्रदान करती है। ये वाक्य मत्स्य पालन अधिकारी बृजमोहन शर्मा ने चौधरी देविलाल विश्वविद्यालय के सामुदायिक रेडियो केन्द्र 90.4 एफ एम के कार्यक्रम ‘हैलो सिरसा‘ में सुरेन्द्र कुमार से बातचीत के दौरान कहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में बृजमोहन शर्मा ने मछली पालन व्यवसाय की विभिन्न आवश्यकताओं के बारे में श्रोताओं को जानकारी दी। तालाब के क्षेत्र संबंधी सवाल का जवाब देते हुए मत्स्य अधिकारी ने कहा कि हरियाणा में दो तरह के तालाब मछली पालन के लिए प्रयुक्त है। इनमें एक तो पंचायती तालाब है जो कि पट्टे पर दिए जाते है और दूसरी तरह के स्वंय के तालाब है। तालाब का आकार एक से ढाई एकड़ का हो सकता है, और जहां तक सरकारी सहायता की बात है तो इसके लिए 3 लाख रुपऐ तक का ऋण मिल सकता है, जिस पर सरकार द्वारा 20 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वहीं तालाब की मुरम्मत के लिए भी 60 हजार रुपये तक का लोन प्राप्त किया जा सकता है।
पानी की जांच संबंधी सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि मछली पालन करने से पहले किसान को पानी तथा मिट्टी की जंाच करवानी चाहिए, क्योंकि बालु मिट्टी वाली जगह पर मछली पालन नहीं किया जा सकता। यह जांच जल कृषि अनुसंधान संस्थान में मात्र 50 रुपये की फीस देकर करवाई जा सकती है। बीज की उपलब्धता के बारे में अधिकारी ने कहा कि हमारे यहां तीन प्रकार की भारतीय मछली जिनमें राहू, कतला, व मिर्गल है तथा कॉमन कार्प व ग्रास कार्प नामक विदेशी मछली पाली जाती है। इनका बीज 65 रूपये प्रति हजार के मूल्य पर उपलब्ध करवाया है। यह बीज ओटू स्थित ब्रीडिंग सेंटर पर तैयार किया जाता है। मछलियों की खुराक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होनें कहा कि खुराक में सरसों की खली, राइस ब्रान, गोबर आदि शामिल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए इसमें चुना, यूरिया तथा सुपरफॉस्फेट को मिलाना चाहिए। यही नहीं मछलियों को खुराक इस तरह से मिलनी चाहिए कि सभी प्रकार की मछलियों को ये उपलब्ध हो सकें। क्योंकि कुछ मछलियां तली से खुराक लेती है, कुछ मध्य से, कुछ उपरी जल से तो कुछ किनारों से। इसलिए किसानों को इसकी अच्छी जानकारी होना आवश्यक है।
मछलियों की विभिन्न समस्याओं पर उन्होने कहा कि मई -जून में आक्सीजन की कमी के मछलियां मर जाती है इसलिए किसानों को इस समय कृत्रिम आक्सीजन को देने का प्रबंध करना चाहिए। या एरिएटर का प्रयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पानी को उंचाई से गिराकर भी आक्सीजन की मात्रा को पानी में बढ़ाया जा सकता है। मछलियों के मुंह तथा पूंछ गलने की स्थिति में पानी का एक्सचेंज करना चाहिए या एमाक्यूल का घोल तथा वीटामिन ए की गोलियां पानी में डालनी चाहिए। इसके अतिरिक्त ड्रॅाप्सी रोग जिसमे भोजन की कमी से मछलियों का शरीर पतला हो जाता है इस स्थिति में 10 किलोग्राम चूना प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में डालना चाहिए। मत्स्य अधिकारी ने इस बात पर बल दिया कि इस व्यवसाय से काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन इसके लिए वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाने चाहिए। ऐसा करने से पांच- सात टन प्रति हैक्टेयर आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए मछली पालन के साथ- साथ सूअर पालन तथा बतख पालन भी आसानी से करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता हैै।
एक श्रोता द्वारा मछली की बिक्री सम्बंधी सवाल पर उन्होने कहा कि किसान मछलियों की बिक्री की मामले में स्वतंत्र है। वह जैसे चाहे उन्हें वैसे बेच सकता है। इसके अलावा उन्होने गंदे पानी मछलियों को स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक बताया। उनके अनुसार गंदे पानी की मछलियां भोजन समय अनेक प्रकार की गंदगी को भी निगल जाती है। इस समस्या से बचने के लिए पानी का शुद्धिकरण करवाना चाहिए। उसके बाद ही मछली पालन करना चाहिए। लेकिन इस व्यवसाय में आने से पहले उन्होने प्रशिक्षण लेने की बात पर विशेष जोर दिया। उनके अनुसार मछली पालन के लिए उचित प्रशिक्षण परम आवश्यक है। यह प्रशिक्षण हिसार र्में िस्थत एक्वा ट्रेनिंग रिर्सच संस्थान में दिया जाता हैै। यही नहीं इस दौरान 100 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से प्रशिक्षण भत्ता तथा एक बार को आने जाने का किराया भी प्रशिक्षणार्थी को दिया जाता है।
इस प्रकार सिरसा के मत्स्य अधिकारी बृज मोहन शर्मा ने कार्यक्रम हैलो सिरसा के माध्यम से मछली पालन व्यवसाय से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां श्रोताओं से सांझी की और विभिन्न
जिज्ञासाओं को भी शांत किया तथा अंत में बेरोजगार युवाओं को इस व्यवसाय को अपनाने की भी
अपील की।

Wednesday, October 6, 2010

पाठ प्रेम गो पढ़ ल्यो यारो

पाठ प्रेम गो ल्यो यारो ,पाठ प्रेम गो ल्यो यारो
नफ़रत न मारगे गोली प्यार गी ,जादू गी झप्पी भर ल्यो यारो
आ दुनिया देन खुदा गी है ,के थारो और के है म्हारो
या बात क्यूँ अब तक समझ नहीं आई
एक ही है यो जग सारो
पाठ प्रेम .........
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,इसाई आपस म्ह सारा भाई भाई
धर्म जात गी छोड़ लड़ाई नफ़रत न दिल मु काडो यारो
पाठ प्रेम .........
आपणा महल मालिया अठ ही धरया रह ज्यागा
अब तक कोई लग्यो है जो तू साथ में ले ज्यागा
पीसो आण जाणगी चीज इंग पीछे ज्यादा पडियों ना
हक़ गी खातर आवाज उठाओ बिना कम गा लड़ियो ना
दिल म्ह धीर अब धरलयो यारो
पाठ .......
छोड़ के सारी बेईमानी सचाई गो पल्लू पकड़ ल्यो यारो
सारी जिंदगी जी ली स्वार्थी बनगे
आज बात प्रभात गी मानो यारो
आज बात प्रभात गी मानो यारो
पाठ प्रेम गो ......

Thursday, September 9, 2010

गर्भावस्था में जरूरी है नियमित चेकअप

‘‘गर्भावस्था के समय से ही शिशु को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है,बच्चे के माता-पिता को पूरी जागरूकता के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना करना चाहिए।उन्हें समय समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए।’’ये शब्द बाल रोग विशेषज्ञ डा. मुकेश ने कहे,जोकि राजेन्द्रा चिल्ड्रन हॉस्पीटल में बाल रोग विशेषज्ञ हैं।वे चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशन 90.4 पर कार्यक्रम ’हैलो सिरसा’ में अपराजिता के साथ श्रोताओं से रुबरु हुए।
कार्यक्रम की शुरूआत में डॉ. मुकेश ने कहा कि गर्भावस्था के प्रथम सप्ताह से ही शिशु का विकाश होना शुरू हो जाता है।पहले से 38वें सप्ताह तक का समय मां और शिशु दोनों के लिए काफी कठिन होता है,इस दौरान मां को संतुलित आहार लेना चाहिए तथा समय-समय पर मेडिकल चेकअप करवाते रहना चाहिए, चेकअप से शिशु को होने वाली समस्याओं का समय रहते निदान किया जा सकता है।इसके अलावा डॉ. ने कहा कि गर्भधारण सुनियोजित होना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को होने वाली अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है।गर्भावस्था के दौरान मां को शुगर होने संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. मुकेश ने कहा कि यदि इस दौरान मां को शुगर है तो बच्चे को ’हाइपोक्लेमेसिया’ होने का डर रहता है जिसमें बच्चे को ग्लुकोज की कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है,इस प्रकार की समस्या का एकमात्र समााधान यही है कि बच्चे की डीलिवरी अस्पताल में होनी चाहिए। इसी तरह यदि मां को एनिमिया है तो बच्चे का वजन कम होगा यानि अविकसित बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है।बच्चे को होने वाले पीलिया संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चे जन्म के बाद शुरू में 3 से 7 दिनों तक पीलिया होने की संभावना सर्वाधिक होती है, यह समस्या मुख्यतः पति-पत्नि के खून में होने वाली विविधता के कारण होता है इसमें घ्आर.एच फेक्टर जिम्मेदार होता है।उन्होंने ये भी कहा कि इसका एक अन्य मुख्य कारण लीवर का पूर्ण विकास नहीं हो पाना होता है,परंतु कई बार यह अपने आप ठीक हो जाता है,यदि यह ठीक न हो तो चेकअप करवाना चाहिए।बच्चे के खानपान संबंधी सवाल का जवाब देते हुए डॉ. मुकेश ने आहार पर जोर देते हुए कहा कि गर्भावस्था के दौरान जहां मां को संतुलित आहार लेना चाहिए वहीं जन्म के बाद भी बच्चे के खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए,जन्म के लगभग एक घंटे के बाद स्तनपान शुरू कर देना चाहिए,छह माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान करवाना चाहिए उसके बाद जूस,सूप या मैश किया हुआ केला , दलिया आदि खिलाया जा सकता है।कार्यक्रम के दौरान बच्चों के जन्म में अंतर रखने के बारे में डॉक्टर कहा कि दो बच्चों में कम से कम तीन से चार साल का अंतर अवश्य होना चाहिए जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिहाज से यह अंतर आवश्यक है।
इस प्रकार शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश ने बच्चों की विभिन्न समस्याओं के बारे में श्रोताओं के समक्ष अपने विचार रखे यही नहीं उन्होंने विभिन्न श्रोताओं द्वारा बाल रोगों व समस्याओं के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब भी दिया।श्रोताओं द्वारा मुख्यतः पीलिया ,सर्दी,खांसी,एलर्जी,दस्त व उल्टियां तथा दांतों संबंधी समस्याओं के सवाल पूछे गए।

अंतराष्ट्रीय गणित कांग्रेस

अंतराष्ट्रीय गणित कांग्रेस गणितज्ञों का सबसे बड़ा सम्मेलन है जिसमें दुनिया भर के गणितज्ञ भाग लेते है।हर चार वर्ष पर होने इस सम्मेलन की शुरुआत 1897 में स्वीट्जरलैंड के ज्यूरिख से हुई असल में,1893 में शिकागो में हुए गणितज्ञों के एक सम्मेलन में जर्मनी के दो महान गणितज्ञ फेलिक्स केलिन और जार्ज फीलिप कैंटर ने विश्व के सभी गणितज्ञों के एक होने का आह्वान किया था।वर्ष 1897 में केलिन,एंड्री मार्कोव,ल्यूगी क्लेमोना जैसे गणितज्ञों ने इसकी विधिवत शुरूआत कर दी।हैदराबाद में चल रही अंतराष्ट्रीय गणित कांग्रेस अपने सवा सौ साल के सफर में पहली बार उस देश में हो रही है,जिसने दुनिया को शून्य जैसा गणितीय आधार दिया। 27 अगस्त तक 90 देशों के करीब तीन हजार गणितज्ञ इस कांग्रेस में गणित से जुड़े विभिन्न मु़द्दों पर विचार-विमर्श कर रहेहैं।गणितज्ञोंकी माने,तो गणित के प्रति भय पूरी दुदिया में है। हैदराबाद कांग्रेस की खास बात यह भी है कि यहां इंग्रिड दौबेचिस को अध्यक्ष चुना गया है जो विश्व गणित कांग्रेस के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष है।अंतराष्ट्रीय गणित कांग्रेस का आयोजन अंतराष्ट्रीय गणितीय संघ करता है, जिसका गठन 1951 में हुआ।इससे पहले इस सम्मेलन को आयोजित करने का जिम्मा यूनियन मैथेमेटिक्स इंटरनेशनल के कंधो पर था।
इस सम्मेलन में जहां कई गणितीय प्रश्नों को सुलझाया जाता है,वहीं कई सवाल भी उठाए जाते है।मसलन 1900 के पेरिस सम्मेलन में ही डेविड हिलबर्ट ने अपने चर्चित 23 अनुत्तरित सवाल रखे थे, जिसे अब हिल्बर्ट्स प्राब्लम कहा जाता है।हैदराबाद में चल रहा सम्मेलन इसलिए भी चर्चा में कि यहां विश्ननाथ आनंद ने एक साथ 40 गणितज्ञों के साथ शतरंज की बाजीयां लगाई थी जिसमें 39 को उनहोंने मात दे दी थी और एक बाजी को ड्रा करने में सफल रहा। अंतराष्ट्रीय गणित कांग्रेस का अगला पड़ाव 2014 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में है।

Tuesday, September 7, 2010

हर समस्या का होगा समाधान-सुरेश कुक्कु


अगले पंद्रह दिनों में सिरसा जिले की सभी सड़कों का पुर्नोद्धार शुरू हो जाएगा,शहर में स्ट्रीट लाइटों,आवारा पशुओं की समस्या व सफाई संबंधी सभी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर कर दिया जाएगा ।’’ उपरोक्त वाक्य सिरसा नगरपरिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष,सुरेश कुक्कु ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशन 90.4 पर कार्यक्रम ’हैलो सिरसा’ में केंद्र निदेशक विरेन्द्र सिहं चौहान से बातचित के दौरान कहे।
गौरतलब है कि सुरेश कुक्कु सिरसा के वार्ड नंबर 18 से निर्वाचित पार्षद है और उन्हें नगरपरिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।फोन इन कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं ने प्रश्नों और समस्याओं की झड़ी लगा दी।नगर परिषद अध्यक्ष ने भी श्रोताओं की सभी समस्याओं का समाधान करने का वादा किया।सीवरों के ढक्कन नहीं होने संबंधी एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बिना ढक्कन वाले सीवरों की सूची तैयार की जा रही है,बहुत जल्द सभी खुले पड़े सीवरों को ढक्कन लगा दिए जाएंगे। सड़कों की लगातार बदतर होती दशा के बारे में उन्होंने श्रोताओं को आश्वस्त किया कि फिलहाल बारिश का मौसम है इसलिए सड़कों की मरम्मत का कार्य नहीं हो पा रहा है जैसे ही बारिश रूकेगी सभी सड़कों को दुरुस्त कर दिया जाएगा,यह कार्य अगले 15-20 दिनों में शुरू हो जाएगा।
जब एक श्रोता ने बदतर सफाई व्यवस्था का सवाल उठाया तो अध्यक्ष ने सफाई कर्मचारियों की कमी की बात कही उन्होंने कहा कि 1990 के बाद भर्तियां नहीं हुई है परंतु वे बहुत जल्द सफाई कर्मचारियों की भरती करके शहर को चकाचक करने का कार्य करने जा रहे हैं।शहर में स्ट्रीट लाइट की समस्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी खराब स्ट्रीट लाइटों को बदले जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है,पूरे शहर को इस समस्या से निजात मिल जाएगी। नोहरीया पर फैली गंदगी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वहां पर स्थित प्राइवेट प्लांट को नोटिस जारी कर दिया गया है और पूरी उम्मीद है कि इसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे।जब एक श्रोता ने सड़कोें पर बेसहारा घूमते गौवंश तथा उनसे होने वाली दुर्घटनाओं के बारे मेें सवाल उठाया तो नगरपालिका अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि इनमें से ज्यादातर गायें आवारा नहीं हैं परंतु इनके मालिक दूध निकालकर इन्हें आवारा छोड देतें हैं जोकी सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनती है,ऐसे लोगों के फिलाफ अब पुलिस के साथ मिलकर सख्त कार्यवाही की जाएगी तथा शहर में स्थित घास की टालों को भी अपनी दुकानें वहां से हटाने का नोटिस जारी कर दिया गया है।
केंद्र निदेशक विरेंद्र सिहं चौहान ने जब पूछा की पांच साल बाद वह सिरसा को किस तरह का देखना चाहतें हैं तो
अध्यक्ष ने जवाब दिया कि वे एक सुन्दर व खूबसुरत सिरसा चाहते हैं जहां सड़कों, सीवरों व पानी की किसी तरह की कोई समस्या न हो। केन्द्र निदेशक ने जब अध्यक्ष से उनकी सबसे पहली प्राथमिकता के बारे में पूछा तो नगर परिषद अध्यक्ष ने सिवरों की समस्या को दूर करना अपनी पहली प्राथमिकता बताया। इस प्रकार कार्यक्रम के दौरानसुरेश कुक्कु ने शहर की सभी समस्याओं को दुर करने का विश्वास दिया तथा भविष्य में भी सामुदायिक रेडियो के माध्यम से श्रोताओं से रुबरु होते रहने का आश्वासन दिया।

Tuesday, August 31, 2010

जाति को जनणना में शामिल किया जाएगाःप्रणब

नई दिल्ली : जाति आधारित जनगणना पर तमाम विवादों को विराम देते हुए सरकार ने आखिर जाति को जनगणना में शामिल करने का फैसला कर लिया है।सरकार नें आज यहां कहा कि इससे संबंधित सभी औपचारिकताओं को मंत्रीपरिषद की अगली मीटिंग में पूरा कर लिया जाएगा।
वितमंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा को कहा कि सभी पार्टियों ने जाति को जनगणना में शामिल करने के विचार का समर्थन किया है और इस मुद्दे पर और अधिक बहस करने का कोई फायदा नहीं है।प्रणब ने यह ब्यान विभिन्न पार्टियों के द्वारा इस मुद्दे पर सवाल पुछे जाने पर दिया ।
विशेष मंत्री समूह जो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बनाया गया था, ने भी जाति को जनगणना में शामिल करने का सुझाव दिया है।

Wednesday, August 18, 2010

किशेनजी के प्रस्ताव का ममता ने किया स्वागत

कोलकाता,17 अगस्त। तरुणमूल कांग्रेस अध्यक्षा और रेल मंत्री ममता बेनर्जी ने आज यहंा माओवादी नेता किशेनजी के प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि सभी समस्याओं का समाधान लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हमें समस्याओं का समाधान शंातिपूर्ण ढंग से निकालना चाहिए वे यहां पत्रकारों को संबोधित कर रही थी। ममता ने कहा कि अगर माओवादी शंाति चाहते हैं तो यह देश के लिए बहुत अच्छी बात है,सरकार यदि इसमें मेरी मध्यस्थता चाहती है तो मुझे कोई परेशानी नहीं होगी परंतु मैने अभी तक मात्र मीडिया रिपोर्टों को ही देखा है इसलिए अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।

rohtash: vishay

Thursday, March 4, 2010

रोचक जानकारी

१.स्पेन में कपडे पर अख़बार निकालता
२.फ्रांस में एक भी मछ्छर नहीं पाया जाता ।
३.कछुआ ३०० साल तक जीवित रह सकता है ।

jankari

jankari

koe h jo

Wednesday, February 17, 2010

आखिर क्यों

Sunday, January 10, 2010

कलम का सिपाही सीपी