सिरसा,13 मार्च। जीवन में सफलता के लिए जरुरी है कि हम अपने आप से प्रेम करें। हमें अपनी कमियों की बजाय अपनी ताकत को पहचानना चाहिए। परंतु होता इसके विपरीत है, उदाहरणतयः हम जब भी सीसा देखते हैं तो अपनी कमियां ढूंढ़ते हैं। और यहीं पर हम कमजोर हो जाते हैं, हमें जीवन के प्रति अपने नजरिये को बदलना होगा। अपने लक्ष्य से प्रेम करना सिखना होगा उससे संवेदना रखनी होगी। तभी हम बिना थके अपने लक्ष्य को पा सकेंगें। ये उद्गार त्रिवेणी शिक्षण संस्थान के सचिव औमप्रकाश ने विद्यार्थियों से बातचीत के दौरान व्यक्त किए।वे चौधरी देवीलााल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में प्रिंट व साइबर मीडिया कार्यशाला में विद्यार्थियों से मुखातिब हुए।
कार्यशाला के चौथे दिन विद्यार्थियों नें व्यक्तित्व विकास के गुर सीखे।औमप्रकाश ने प्रशिक्षु पत्रकारों के व्यक्तित्व विकास से जुड़े अनेक सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में विरोधाभाष जरुरी है, नकारात्मकता के बिना सकारात्मकता का अस्तित्व नहीं है,असफलता हि सफलता की पहली सीढ़ी है। डेयर टू फेल पुस्तक का जिक्र करते हुए वे बोले कि हमारे में असफलता को सहन करने की ताकत होनी चाहिए तभी हम सफलता के स्वाद को चख पाएंगें। पतंजली के आठ सूत्रों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमें केवल यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें क्या करना है। तब हमारे कदम अपने आप मंजिल की तरफ बढ़ जाएंगे। और हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में काई नहीं रोक पाएगा।
एक विद्यार्थि द्वारा आत्मविश्वास बढ़ाने से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके लिए सबसे पहले तो हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा।पूरे दिन में कम से कम आधा घंटा अपने लिए अवश्य निकाले जिसमें कुछ योगा तथा ध्यान की क्रियाएं करें। पुस्तकें के महत्व पर वे बाले कि ये हमारी ज्ञान पीपासा को शांत करने में महत्वपूर्ण भुमिका निभाती हैं। विभागाध्यक्ष वीरेंद्र सिहं चौहान ने कार्यशाला का संचालन किया तथा विद्यार्थियों से कहा कि वे इसका भरपूर लाभ उठाते हुए आने वाली चूनौतियों के लिए अपने आप को तैयार करें। इस अवसर पर प्राध्यापिका पूनम कालेरा तथा प्राध्यापक कृष्ण कुमार, विकास सहारण, सुरेंद्र कुमार, सन्नी गुप्ता व राममेहर भी उपस्थित थे।
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