आंखें हमारे शरीर का सबसे अह्म अंग है। इसलिए इनकी विशेष देखभाल आवश्यक है। हमें चिकित्सक की सलाह के बगैर किसी भी तरह की आंखों की दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिना परामर्श बच्चों की आंखों में सुरमा डालना भी ख़तरनाक हो सकता है। सुरमे से आंखे बड़ी होना या सुंदर होना सिर्फ एक भ्रांति है। ये बातें डा0 महीप बंसल ने सामुदायिक रेडियो स्टेश्न के कार्यक्रम हैलो सिरसा में सुरेन्द्र सिहं से बातचीत के दौरान श्रोताओं को स बोंधित करते हुए कहें। प्रस्तुत है इस बातचीत के संपादित अंश-
प्रश्न-नेत्र रोग क्या है?
उत्तर-हमारी आंखों की सामान्य या प्राकृतिक अवस्था का किसी भी तरह से विकृत या प्रभावित होना नेत्र रोग कहलाएगा। इनमें आंखों का लाल होना, मोतिया बिन्द, रतौंधी, दूरदृष्टि या निकटदृष्टि दोष होना, एलर्जी, आई लू जैसे रोग आते हैं। बढ़ रहे प्रदूषण के कारण नेत्र रोगों में इजाफा हो रहा है।
प्रश्न- आम आदमी अपनी आंखों की देखभाल किस तरह कर सकता है?
उत्तर- ड्राइविंग के दौरान हेलमेट या अच्छा चश्मा लगाए। बिना सलाह के कोई दवा का प्रयोग न करें। किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। अपनी आंखों के प्रति लापरवाही का रवैया ना अपनाए, क्योंकि आंखें बहुत ही संवेदनशील होती है।
प्रश्न- टीवी देखते समय हमें क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर- टीवी देखते समय हमें टीवी से कम से कम 7 या 8 फीट की दूरी अवश्य रखनी चाहिए। यह दूरी कमरे व टीवी के साईज पर भी निर्भर करती है। यदि टीवी हाई रेज्यूलेशन वाला है तो आंखों पर कम प्रभाव पडेगा। टीवी देखते समय हमें लगातार अपनी आंखों को झपकाते रहना चाहिए। इससे आंखों की नमी बनी रहेगी। इसके अतिरिक्त पर ज्यादा देर तक काम करने वाले व्यक्ति को एंटी क्लीयर स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न- आंखों की एलर्जी के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- एलर्जी का मु य कारण सूर्य की पैराबैंगनी किरणें है। एलर्जी मु यतरू गर्मी के समय होती है। इससे बचने के लिए गुणवता वाले धूप के चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। बार -बार ठन्डे पानी से आंखों में छींटे मारने चाहिए।
प्रश्न- इस मौसम में आंखों से संबंधित कौन कौन से रोग मु य है?
उत्तर- इस समय कटाई और बिजाई का मौसम चल रहा है। इसलिए खेतों में काम करने वाले व्यक्ति को चोट लगने से जख़्म होने का डर रहता है। इसके अतिरिक्त इस समय बुजूर्गों में सफेद मोतिया व काला मोतिया आदि की समस्या हो सकती है।
प्रश्न- क्या बार बार आंखें धोने से आंखों की पुतलियों में स्थित रसायन को कुछ खतरा हो सकता है?
उत्तर- साफ पानी से आंखें धोने से कोई समस्या नहीं होती। बल्कि इससे आंखों की साफ सफाई हो जाती है और जहां तक रसायन की बात है तो यह रसायन समय समय पर बदलता रहता है। यह हमारी आंखों व पलकों के मध्य चिकनाई बनाए रखने का काम करता है ताकि पलकों को झपकाने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
प्रश्न- बच्चों में बढ़ रही आंखों की समस्याओं के क्या कारण है?
उत्तर- इसका मु य कारण लगातार बढ़ता पढाई का बोझ, टीवी के साथ अत्यधिक लगाव, प्रदूषण भी इसका अहम कारण है। भारत में लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र में स्कूल में भेज देते हैं। जबकि यूरोप में 6 वर्ष के बच्चो को स्कूल में भेजा जाता है। कार्यक्रम के अन्त में श्रोताओं से कहा कि हमारी ये आंखें ही है जो हमें देश दूनिया दिखाती है। इनके बिना जीवन अधूरा है। इसलिए इनकी देखभाल में हमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी प्रकार की नेत्र स बंधी समस्या होने पर विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह मशवरा करना चाहिए।
प्रश्न- नजऱ कमजोर होने पर चश्मे के अतिरिक्त और क्या क्या विकल्प हो सकते हैं?
उत्तर- चश्मा लगाने के अतिरिक्त कोंटेक्ट लैंस को प्रयोग में लाया जा सकता है। लेकिन कॉन्टेक्ट लैंस के विकल्प में हमें ज्यादा सावधानियां बरतनी पड़ती है क्योंकि धूल मिट्टी के चलते कॉन्टेक्ट लैंस के कारण आंखों में जलन होने लगती है जिसके कारण आंखों की पुतलियां भी प्रभावित होती है। इसी के साथ आंखों का आप्रेशन भी बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें जोखिम अधिक रहता है।
प्रश्न-चश्मे के प्रयोग में क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
उत्तर- चश्मे का प्रयोग करते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। हमें चश्मे का चुनाव करते समय उसकी गुणवत्ता को परखना चाहिए। फैशन को तवज्जो ना देकर आंखों की सहूलियत और आवश्यकता अनुसार की चश्मे का चुनाव करना चाहिए।चश्मे के फै्रम का चुनाव भी हमें चिकित्सक के सुझाव से ही करना चाहिए। साथ साथ चश्मे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न- हम अपनी आंखों की देखभाल किस तरह कर सकते है?
उत्तर-आंखे हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इन्ही की बदौलत हम इस खूबसूरत दूनिया को देख पाते हैं। इसलिए हमें अपनी आंखों की विशेष देखभाल करनी चाहिए। इनके स्वास्थ्य के लिए जहां साफ सफाई अति आवश्यक है वहीं आहार में विटामिन ए की प्रचुर मात्रा होना आवश्यक है। यह हमें गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, जूस आदि से प्राप्त होता है।
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