‘‘गर्भावस्था के समय से ही शिशु को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है,बच्चे के माता-पिता को पूरी जागरूकता के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना करना चाहिए।उन्हें समय समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए।’’ये शब्द बाल रोग विशेषज्ञ डा. मुकेश ने कहे,जोकि राजेन्द्रा चिल्ड्रन हॉस्पीटल में बाल रोग विशेषज्ञ हैं।वे चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशन 90.4 पर कार्यक्रम ’हैलो सिरसा’ में अपराजिता के साथ श्रोताओं से रुबरु हुए।
कार्यक्रम की शुरूआत में डॉ. मुकेश ने कहा कि गर्भावस्था के प्रथम सप्ताह से ही शिशु का विकाश होना शुरू हो जाता है।पहले से 38वें सप्ताह तक का समय मां और शिशु दोनों के लिए काफी कठिन होता है,इस दौरान मां को संतुलित आहार लेना चाहिए तथा समय-समय पर मेडिकल चेकअप करवाते रहना चाहिए, चेकअप से शिशु को होने वाली समस्याओं का समय रहते निदान किया जा सकता है।इसके अलावा डॉ. ने कहा कि गर्भधारण सुनियोजित होना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को होने वाली अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है।गर्भावस्था के दौरान मां को शुगर होने संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. मुकेश ने कहा कि यदि इस दौरान मां को शुगर है तो बच्चे को ’हाइपोक्लेमेसिया’ होने का डर रहता है जिसमें बच्चे को ग्लुकोज की कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है,इस प्रकार की समस्या का एकमात्र समााधान यही है कि बच्चे की डीलिवरी अस्पताल में होनी चाहिए। इसी तरह यदि मां को एनिमिया है तो बच्चे का वजन कम होगा यानि अविकसित बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है।बच्चे को होने वाले पीलिया संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चे जन्म के बाद शुरू में 3 से 7 दिनों तक पीलिया होने की संभावना सर्वाधिक होती है, यह समस्या मुख्यतः पति-पत्नि के खून में होने वाली विविधता के कारण होता है इसमें घ्आर.एच फेक्टर जिम्मेदार होता है।उन्होंने ये भी कहा कि इसका एक अन्य मुख्य कारण लीवर का पूर्ण विकास नहीं हो पाना होता है,परंतु कई बार यह अपने आप ठीक हो जाता है,यदि यह ठीक न हो तो चेकअप करवाना चाहिए।बच्चे के खानपान संबंधी सवाल का जवाब देते हुए डॉ. मुकेश ने आहार पर जोर देते हुए कहा कि गर्भावस्था के दौरान जहां मां को संतुलित आहार लेना चाहिए वहीं जन्म के बाद भी बच्चे के खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए,जन्म के लगभग एक घंटे के बाद स्तनपान शुरू कर देना चाहिए,छह माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान करवाना चाहिए उसके बाद जूस,सूप या मैश किया हुआ केला , दलिया आदि खिलाया जा सकता है।कार्यक्रम के दौरान बच्चों के जन्म में अंतर रखने के बारे में डॉक्टर कहा कि दो बच्चों में कम से कम तीन से चार साल का अंतर अवश्य होना चाहिए जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिहाज से यह अंतर आवश्यक है।
इस प्रकार शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश ने बच्चों की विभिन्न समस्याओं के बारे में श्रोताओं के समक्ष अपने विचार रखे यही नहीं उन्होंने विभिन्न श्रोताओं द्वारा बाल रोगों व समस्याओं के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब भी दिया।श्रोताओं द्वारा मुख्यतः पीलिया ,सर्दी,खांसी,एलर्जी,दस्त व उल्टियां तथा दांतों संबंधी समस्याओं के सवाल पूछे गए।
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