हजारों शहिदों की कुर्बानी से आजादी हमें मिली
हमारे मुरझाए होठों पर हंसी तब खिली।
हवा ने बहना छोड़ दिया था
फूल भी खिलना भूल गए थे
वो कुछ ऐसा मंजर था
जिसने देखा वो कांप गए थे।
न हवा में ये रवानी थी
न मस्ती में जवानी थी।
हर लब पर था ताला पड़ा
न आवाज में बुलंदी थी
न गीतो में था मधुर रस
अंग्रेजों के जुल्म सहने को
हर हिंदुस्तानी था बेबस।
पर जब चली हवा इंकलाब की
गौरों का साम्राज्य ढ़ह गया
जब उठी लहर देश प्रेम की
अलविदा फिरंगी कह गया ।
सोने की चिड़िया अब आजादी से चहक रही है
उन्नती और विकास की नई कहानी कह रही है।
प्रभात इंदौरा
हमारे मुरझाए होठों पर हंसी तब खिली।
हवा ने बहना छोड़ दिया था
फूल भी खिलना भूल गए थे
वो कुछ ऐसा मंजर था
जिसने देखा वो कांप गए थे।
न हवा में ये रवानी थी
न मस्ती में जवानी थी।
हर लब पर था ताला पड़ा
न आवाज में बुलंदी थी
न गीतो में था मधुर रस
अंग्रेजों के जुल्म सहने को
हर हिंदुस्तानी था बेबस।
पर जब चली हवा इंकलाब की
गौरों का साम्राज्य ढ़ह गया
जब उठी लहर देश प्रेम की
अलविदा फिरंगी कह गया ।
सोने की चिड़िया अब आजादी से चहक रही है
उन्नती और विकास की नई कहानी कह रही है।
प्रभात इंदौरा
No comments:
Post a Comment