आसमां की ऊंचाई,सागर की गहराई
अंतरिक्ष का विस्तार,मंजील की लंबाई।
अब कु छ भी असंभव नहीं
दुनिया जिसको मान चुकी
आज फिर दोहराता हूं मैं वही
पैरों की वो बेड़ियां अब बीती बात हुई।
देखकर अपनी उडान,
अब अधूरा ना रहेगा
हम हिंदुस्तानी हैं श्रेष्ठ
अब ये हर कोई कहेगा
इस धरा के स्वर्ग पर
आशियाना है अपना।
वर्षों के आंशु पोंछकर
सीखा है, हमने हंसना
ये हंसी कभी गुम न हो
प्यार अपना कम न हो।
आजादी के जश्न में झुमों
और मिलकर प्रभात संग
यारों तुम सब यही कहो।
आज वक्त है साथ हमारे
उडो की पंख है आजाद तुम्हारे।
....प्रभात इंदौरा
अंतरिक्ष का विस्तार,मंजील की लंबाई।
अब कु छ भी असंभव नहीं
दुनिया जिसको मान चुकी
आज फिर दोहराता हूं मैं वही
पैरों की वो बेड़ियां अब बीती बात हुई।
देखकर अपनी उडान,
दुनिया भी हैरान हुई।
अपनी कोई उम्मीद, कोई सपना
अब अधूरा ना रहेगा
हम हिंदुस्तानी हैं श्रेष्ठ
अब ये हर कोई कहेगा
इस धरा के स्वर्ग पर
आशियाना है अपना।
वर्षों के आंशु पोंछकर
सीखा है, हमने हंसना
ये हंसी कभी गुम न हो
प्यार अपना कम न हो।
आजादी के जश्न में झुमों
और मिलकर प्रभात संग
यारों तुम सब यही कहो।
आज वक्त है साथ हमारे
उडो की पंख है आजाद तुम्हारे।
....प्रभात इंदौरा
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