
हम बहुत स्वार्थी हैं। पर मुझे तो लगता है कि हमें स्वार्थी होना भी नहीं आता। पानी को व्यर्थ बहाते वक्त हम अपने कल के स्वार्थ को क्यों भूल जाते हैं। तो क्या अब मुझे आपको स्वार्थी होना सीखाना पड़ेगा ? अपने लिए न सही तो अपनों के लिए स्वार्थी हो जाइए। जिस दिन आपने यह सीख लीया, समझो आपका धरती पर आना सफल हो गया। आज जल दिवस है। तो सोचिए, की इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? धरती का जल स्तर लगातार गीरता जा रहा है। का तापमान बढ़ रहा है, हर तरफ प्राकृतिक विपदाओं का कहर है। और हम हैं कि समझते हि नहीं।
अपने आप से भागना छोडिए, अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को पहचानना सीखीए। वरना हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब देंगे। तो आइए इस जल दिवस पर ये कोशिश करें कि हम अपने स्वार्थ के लिए ही सही पर जल को बचाएंगें। यदि हम सीर्फ इतना भर भी कर पाए तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा। किसी ने ठीक ही कहा है- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून , पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून । तो आइए प्रकृति की अमुल्य निधि जल को बचाने का प्रयास करें ।
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