सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

Friday, August 26, 2016

हे‌‌ कृष्ण! ‌तुम फिर आओ ना



 नफरत का व्यापार सजा है
मोहब्बत का बस नाम बचा है
काेई खंजर लिए खड़ा है 
किसी हाथ में तलवार है
एक दूजे के खून का प्यासा 
हो गया सारा संसार है
खोफनाख इस प्रलय से 
तुम ही इसे बचाओ ना,
दुनिया को प्रीत की रीत सीखाने
हे कृष्ण! फिर आओ ना।।

खोफ में जी रही है प्रजा तेरी
अधर्म का कोहराम है
दुर्योधन मनमानी कर रहा
कहीं दुशासन के हाथ में
द्रोपदी की लाज है
देखके इंसानों की करतूतें 
मानवता शर्मसार है
शर्म, हया और नैतिकता 
तुम ही आकर समझाओ ना
इंसान को धर्म का मतलब बताने
हे कृष्ण! फिर आओ ना।।

धर्म युद्ध की बेला में 
बिन तेरे अर्जुन अकेला है
सच के साथ लोग गिनती के
एक तरफ दुष्टों की सेना है
पापों के अनजाम से
क्यूं हम सब अनजान है
गीता का संदेश अब 
तुम ही आकर दोहराओ ना
सच्चाई की रक्षा करना
हे कृष्ण! फिर आओ ना।।
             -प्रभात इंदौरा

Sunday, August 21, 2016

तस्वीर मेरे ख्वाबों की...



तू बन जा तस्वीर मेरे ख्वाबों की
रंग भर दूं मोहब्बत के तुझमें।
रंग काली घटाओं से लेकर
जुल्फें सजा दूं मैं तेरी।
गुलाबों से लेकर हसीं रंगत
गालों पर सजा दूंगा लाली
तूं हो ना कभी जुदा मुझसे
रंग भर दूं वफा के तुझमें।

सागर सी गहराई आंखों में 
भर दूं मैं लियाकत पलकों में।
एक जाम उठा मयखाने से
लब कर दूं तेरे मदहोश जरा
आंखें ना हटे एक पल तुझसे,
रंग भर दूं मोहब्बत के तुझमे।

सितारों को सजा दूं बना गहने,
फलक से चुराकर चांद को
माथे पर सजा दूंगा तेरे।
जमाने ने ना देखें हो अब तक 
रंग भर दूं हंसी में वो तेरे।
तेरे बिन ना रहा जाए मुझसे 
रंग बनके समा जाऊं तुझमे।
                -प्रभात इंदौरा

Monday, December 7, 2015

बेखबर



हर पल मेरे ख्याालों में तुम हो, हर लम्हा मेरी बस तुम पर नजर है।
चाहत से मेरी ये जहां बाखबर है, पर जाने क्यू तूं यार बेखबर है।।

कोई ख्वााब तेरे सिवा देखा नहीं, जीने की तेरे बिन सोची नहीं।
जिसे लम्हे में मेरे तूं होगा नहीं, वाे लम्हा मेरा कभी होगा नहीं।
मंजिल है मेरी तुं है, बस तूं ही डगर है।
हर पल मेरे ख्याालों में तुम हो, हर लम्हा मेरी बस तुम पर नजर है।
चाहत से मेरी ये जहां बाखबर है, पर जाने क्यू तूं यार बेखबर है।।

तन्हां हूं बहुत इस दूनिया की भीड़ में, महफिल मेरी बस एक तूं है। 
आया है जहां में बस मेरे लिए तूं, फिर दूरियां इतनी दरमियां क्यूं है।
जिंदगी है मेरी तूं, तूं ही हमसफर है।
हर पल मेरे ख्याालों में तुम हो, हर लम्हा मेरी बस तुम पर नजर है।
चाहत से मेरी ये जहां बाखबर है, पर जाने क्यू तूं यार बेखबर है।।

इबादत से दुआ तक तूं ही तूं है, आंखों की नमीं तूं, होठों की हंसी है।
है तूं ही हकीकत, तूं ही ख्याल है, फिर भी ना जाने क्यूं तेरी कमी है।। 
बंदगी है तूं ही, तूं ही रहबर है।
हर पल मेरे ख्याालों में तुम हो, हर लम्हा मेरी बस तुम पर नजर है।
चाहत से मेरी ये जहां बाखबर है, पर जाने क्यू तूं यार बेखबर है।।
                                                         ...प्रभात इंदौरा

Tuesday, December 1, 2015

ऐसा मिलेगा कोई, सोचा नहीं था हमने



ऐसे थे बिखरे से, मुश्किल संभलना था,
राहों में भटके थे, अकेले ही चलना था,
टूटी उम्मीदें थी, आंखों में बस पानी था,
एेसे अंधियारों में, होगा उजाला कभी 
सोचा नहीं था हमने,
यूं थाम लेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।।
एेसा मिलेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।।

जिना भी बोझ सा, लगने लगा था।
खुद का भी साथ खुद से छुटने लगा था।
सपनों का साथ कबसे छुटा हुआ था।
ऐसी रातों के बाद, होगा प्रभात कभी 
सोचा नहीं था हमने, 
फिर अपना लगेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।
यूं गले से लगाएगा कोई, सोचा नहीं था हमने।
एेसा मिलेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।।

जहां ये सारा हमको, बेगाना सा लगता था,
अपना भी चेहरा हमको, अनजाना से लगता था,
अपनी हकीकत से डर हमको लगने लगा था,
मेरी भावना को इतना, अब समझेगा कोई,
सोचा नहीं था हमने,
एेसा मिलेगा यार हमको, सोचा नहीं था हमने।
ऐसे करेगा परवाह मेरी, सोचा नहीं था हमने।  
एेसा मिलेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।।
एेसा मिलेगा कोई, सोचा नहीं था हमने।।